यह मेरे जीवन प्रसंग के बारे में है। अभी मुझे नहीं मालूम यह कैसा रूप अख्तियार कर लेगा। बस अपने जीये

रविवार, 2 नवंबर 2014

जीवन के दिन चार

यह मेरे जीवन प्रसंग के बारे में है। अभी मुझे नहीं मालूम यह कैसा रूप अख्तियार कर लेगा। बस अपने जीये हुए एक बार फिर स्मृतियों में जी लेने की चाह इसकी प्रेरणा है। यह किसी दूसरे के लिए किसी काम का नहीं हो सकता है।