यह मेरा जीवन प्रसंग है। लेकिन इसमें शामिल सिर्फ मैं नहीं हूँ। इस अर्थ में यह थोड़ा ही सही पर किसी और के लिए भी शायद उपयोगी हो। यह सोचकर इसे भाषा में जीने की कोशिश भर है। यह क्या आकार लेगा, क्या मालूम!
यह मेरे जीवन प्रसंग के बारे में है। अभी मुझे नहीं मालूम यह कैसा रूप अख्तियार कर लेगा। बस अपने जीये
जीवन के दिन चार
कुछ कविता कुछ कहानी
अपनी कुछ बाकी यहाँ उधार
ना दाना, ना पानी, ना ही कोई जुगाड़
जीवन के दिन चार, जीवन के दिन चार
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