यह मेरे जीवन प्रसंग के बारे में है। अभी मुझे नहीं मालूम यह कैसा रूप अख्तियार कर लेगा। बस अपने जीये

जीवन के दिन चार

कुछ कविता कुछ कहानी
अपनी कुछ बाकी यहाँ उधार
ना दाना, ना पानी, ना ही कोई जुगाड़
जीवन के दिन चार, जीवन के दिन चार

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